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Bharat - Bharti
मुझे दु:ख है कि इस पुस्तक में कहीं–कहीं मुझे कुछ कड़ी बातें लिखनी पड़ी हैं, परन्तु मैंने किसी की निन्दा करने के विचार से कोई बात नहीं लिखी । अपनी सामाजिक दुरवस्था ने वैसा लिखने के लिए मुझे विवश किया है । जिन दोषों ने हमारी यह दुर्गति की है, जिनके कारण दूसरे लोग हम पर हँस रहे हैं, क्या उनका वर्णन कड़े शब्दों में किया जाना अनुचित है ? मेरा विश्वास है कि जब तक हमारी बुराइयों की तीव्र आलोचना न होगी तब तक हमारा यान उनको दूर करने की ओर समुचित रीति से आकृष्ट न होगा । फिर भी यदि भूल से, कोई बात अनुचित लिख गयी हो तो उसके लिए मैं नम्रतापूर्वक क्षमा–प्रार्थी हूँ । मैं जानता हूँ कि इस पुस्तक को लिखकर मैंने अनाधिकार चेष्टा की है । मैं इस काम के लिए सर्वथा अयोग्य था । परन्तु जब तक हमारे विद्वान् और प्रतिभाशाली कवि इस ओर घ्यान दें और इस ढंग की दूसरी कोई अच्छी पुस्तक न निकले, तब तक, आशा है, उदार पाठक मेरी धृष्टता को क्षमा करेंगे ।
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