
Dr. Shyamsundar Das
About Dr. Shyamsundar Das
डॉ– श्यामसुन्दर दास
जन्म : 1875 ई. में काशी में
शिक्षा : इन्होंने 1897 ई. में बी.ए. (स्नातक) पास किया । 1899 में हिन्दू स्कूल में कुछ दिनों तक अ/यापक के पद पर रहे । तत्पश्चात् लखनऊ के कालीचरन विद्यालय में बहुत दिनों तक मुख्या/यापक के पद को सुशोभित किया । सन् 1921 ई. में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किये गये । प्रारंभ से ही हिन्दी के प्रति आपकी अनन्य निष्ठा थी । नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना आपने अपने विद्यार्थी जीवन से ही अपने सहयोगियों की सहायता से की थी । आपकी बुद्धि विमल, दृष्टि साफ, हृदय उदार और दृष्टिकोण समन्वयवादी था । क्या साहित्य और क्या भाषा, सभी के संघटन में आपने औचित्य और सामंजस्य का ध्यान रखा है । हिन्दी भाषा के संघटन के सम्बन्ध में विचार करते हुए आपने हिन्दी के अतिरिक्त संस्कृत और अरबी–फारसी के शब्दों को भी ग्रहण करने की बात कही है । व्यावहारिक आलोचना के क्षेत्र में भी आप सामंजस्य को लेकर चले हैं । आपकी आलोचना पद्धति में ऐतिहासिक व्याख्या, विवेचना, तुलना, निष्कर्ष, निर्णय आदि अनेक तत्व सन्निहित हैं ।
मौलिक कृतियाँ : ‘नागरी वर्णमाला’ (1896 ई.), ‘हिन्दी हस्तलिखित ग्रन्थों का वार्षिक खोज विवरण’ (1900–1905 ई.), ‘हिन्दी हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज (1906–08) का प्रथम त्रैवार्षिक विवरण’ (1912 ई0), हिन्दी कोविदमाला भाग–1–2 (1909 ई.), ‘साहित्यालोचन’ (1923 ई.), ‘हिन्दी भाषा का विकास’ (1924 ई.), ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र’ (1927 ई.), ‘हिन्दी भाषा और साहित्य’ (1930 ई.), गोस्वामी तुलसीदास’ (1931) इत्यादि ।