Jagdish Chandr Mathur

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About Jagdish Chandr Mathur

अगापुर का जन्म 16 मुबई, 1917, हपुर (उ.प्र.) में हुआ। उन्होंने विश्वविद्यालय से अहेजी में एम.ए. किया। सन् 1941 में आई.सी.एस. परीक्षा उतीर्ण की एवं अमेरिका में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया।
श्री माथुर 14-15 वर्ष की आयु में ही लिखने तये थे। लेखन में उनकी इतनी प्रवत रुचि थी कि उन्होंने जिन विभागों में काम किया, उनकी समस्याओं के सम्बन्ध में भी लिखा। विहार में शिक्षा सचिव के पद पर काम करते हुए उन्होंने कई सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं की स्थापना की और उनमें गहरी रुचि ली।

कृतियों: सन् 1956 में प्रथम एकांकी 'मेरी बाँसुरी' का मंचन व 'सरस्वती' में प्रकाशन। पाँच एकांकी नाटकों का संग्रह 'भोर का तारा' सन् 1946 में प्रकाशित। 'ओ मेरे अपने' (1950), 'मेरे श्रेष्ठ रंग एकांकी', 'कोणार्क', (1951), चंदरी' (1954), 'ज्ञास्दीया' (1959), 'पहला राजा' (1969), 'दशरथ नन्दन' (1974) के अलावा कुंवरसिंह की टेक (1954) और 'गगन सवारी' (1958)-दो कठपुतली नाटक भी लिखे। 'दस तस्वीरें और 'जिन्होंने जीना जाना' उनके रेखाचित्र संस्मरण हैं। 'परम्पराशील नाट्य' कृति उनकी समीक्षा दृष्टि को परिचायक है। 'बहुजन-सम्प्रेषण के माध्यम' माथुर जी की 'जनसंवार' पर विशिष्ट पुस्तक मानी गई है।
सम्मान: विद्यावारिधि की उपाधि से विभूषित, कालिदास अवार्ड और बिहार राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित।
कार्य ऑल इंडिया रेडियो में महानिदेशक रहे, फिर सूचना और प्रसारण मंत्रालय में संयुक्त सथिय। गृह मंत्रालय में हिन्दी सलाहकार के पद पर भी कार्य किया। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विजिटिंग फैलो के अतिरिक्त अन्य कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स से जुड़े रहे थे।
निधन 14 मई, 1978 दिल्ली में।

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