
Nandkishore Nandan
About Nandkishore Nandan
जन्म : 28 फरवरी 1945, मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार) निम्ममध्यवर्गीय परिवार में। बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. और पी-एच.डी. तथा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा से शैली - विज्ञान में डिप्लोमा। 2005 में स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग, बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष तथा निदेशक जनसंचार के पद से अवकाश ।
प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह - छूती हुई दूरियाँ
(1967), और आग हुए हम (2015 द्वितीय संस्करण),
नन्दकिशोर नंदन ये मेरे शब्द (2017), हरसिंगार है खिले (2020), नये
मनुष्य की प्रार्थना (2020)। कहानी-संग्रह - नाटकघर (1974), किस कल के लिए (1982), जब गाँधी चुनाव लड़े ( 1984 प्रथम संस्करण), मेरा वतन कहाँ है (2004)।
उपन्यास-2017,
स - अभी अंत नहीं (2010) | जीवनी - संगीत मन को पंख लगाए ( मन्नाडे, 2023)। आत्मकथा- पढ़ि - पढ़ि के पत्थर भया ( 2018 ) । आलोचना-गायक स्वच्छन्द हिमांचल का (1999), रहबर और रहनुमा प्रेमचंद (2010), गोपाल सिंह नेपाली युगद्रष्टा वि (2012), केदारनाथ मिश्र प्रभात सांस्कृतिक चेतना के कवि (2013), स्वप्न हूँ भविष्य का (2014) |
शीघ्र प्रकाश्य : कविता-संग्रह - अपनी उत्तर गाथा, अँधेरे में चाँदनी, बोले आज कबीर, माँ मैं गीत तुम्हारे गाऊँ। कहानी-संग्रह - नंगे धड़ पर ... और पहला कुरता । उपन्यास-दाग़ पुराना छूटत नाहीं, आग से खेलते लोग और धरती अब भी सुन्दर है । आत्मकथा का दूसरा खण्ड : साधो एक रूप सब माही ।
सम्पादन : 1. हस्तक्षेप (1974) और युगावलोकन (पत्रिका), 2. गोपाल सिंह नेपाली : संकलित कविताएँ दो संस्करण 2013, 2017
Books by the Author Nandkishore Nandan
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