Radhakrishn Sahay

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About Radhakrishn Sahay

1929 में जन्मे डॉ राधाकृष्ण सहाय भागलपुर के सांस्कृतिक जगत् का बहुत प्यारा और सम्मानीय नाम है । वे वहाँ की कई पीढ़ियों की अनुप्रेरणा रहे हैं । राधाकृष्ण सहाय समर्थ कवि, कथाकार और नाटककार हैं । बिहार के तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय में वे हिन्दी के प्रोफेसर रहे । उन्होंने भागलपुर में 1959 में नाट्य संस्था ‘अभिनय भारती’ की स्थापना की । इस संस्था के तहत कई नाटकों का इन्होंने लेखन और निर्देशन किया । वे इस संस्था से1972 तक सघन रुप से जुड़े रहे । सुदूर पूर्वांचल में रहने की वजह से इनकी ओर दिल्ली, कोलकाता या मुंबई के सुधी रंग समीक्षकों का ध्यान नहीं गया । इसकी परवाह भी उन्हें नहीं रही ।
उन्होंने कुछ वर्षों तक विश्वभारती में भी अध्यापन कार्य किया । 1974 में तत्कालीन पूर्वी जर्मनी के हुम्बोल्ट विश्वविद्यालय में अतिथि अध्यापक के रूप में कार्य किया । जर्मनी में रहते हुए वे वहाँ की प्रसिद्ध ‘बर्लिनर एंजेम्बुल’, ‘ डोयचे थियेटर’ जैसे नाट्य संस्थानों के संपर्क में आये । अपने साढ़े तीन साल के प्रवास में डॉ सहाय ने जर्मन भाषा में ‘मृच्छकटिकम्’ के मंचन में सहयोग किया । वहाँ रहते हुए उन्होंने ‘इंडिसे स्टयुक’ (भारतीय थियेटर) नाम से एक महत्वपूर्ण पुस्तक का भी संपादन किया ।
डॉ राधाकृष्ण सहाय को उत्तरप्रदेश सरकार ने तुलसी पुरस्कार से सम्मानित किया है । इसके अतिरिक्त उन्हें पटना और जबलपुर में नागरिक सम्मान से विभूषित किया गया है ।

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