- New product
75 Kavitayen : Gyanendrapati
जन्म 1 जनवरी, 1950 को झारखंड के एक गाँव पथरगामा के किसान परिवार में। उच्च शिक्षा पटना में हुई। इस दौरान छात्र-राजनीति और जन-संचयों में गहरी सक्रियता रही। विहार सरकार में लगभग एक दशक अधिकारी के रूप में कार्य करने के उपरांत नोकरी को नकार बनारसी हो गए। तव से जीवन और समय लेखन को समर्पित है। शतरंज और याचावरी से लगाव, विचार में दृढ़ता और स्वभाव में नम्रता, समानता के पक्षघर, जीवन-वैविध्य के आकांक्षी, हृदय की आर्द्रता और उष्णता से संपन्न ज्ञानेन्द्रपति संवाद-विश्वासी हैं। प्रमुख प्रकाशित कृतियों : 'आँख हाथ बनते हुए', 'शब्द लिखने के लिए ही यह कागज बना हे', 'गंगातट', 'संशयात्मा', 'मिनसार', 'कवि ने कहा', 'मनु को बनाती मनई', 'गंगा-बीतीः गंगू तेली की जवानी', 'कविता भविता', प्रतिनिधि कविताएँ, प्रकृति और कृति (ई-बुक) (कविता-संग्रह); 'एकचक्रानगरी' (काव्य-नाटक); 'पढ़ते-गढ़ते' (कथेतर गय) । 'संशयात्मा' के लिए ज्ञानेन्द्रपति को वर्ष 2006 का 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार' प्रदान किया गया। समग्र लेखन के लिए उन्हें पहन सम्मान', '
You might also like
No Reviews found.