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Aazadi Aur Rashtravaad

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2017
978-93-87145-11-5

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आज एक अलग किस्म के राष्ट्रवाद को जनमानस में फैलाया जा रहा है । यह राष्ट्रवाद यूरोपीय राष्ट्रवाद से प्ररित है । एक धर्म, एक भाषा, एक संस्कृति और अब तो बहुत कुछ एक नेता की धारणा पर आधारित राष्ट्रवाद को ‘न्यू इण्डिया’ में ‘न्यू मीडिया’ और सत्तातंत्र द्वारा जबरिया थोपा जा रहा है । इस ‘नए राष्ट्रवाद’ को अगर कोई भी लोकतांत्रिक ढंग से चुनौती देता है या उसकी आलोचना करता है तो कुछ स्वयंभू देशभक्त उसे देशद्रोही, गद्दार, पाकिस्तानी, नक्सली या ऐसा ही कुछ घोषित करके हमला करते हैं । यह हमला कभी जबानी होता है तो कभी हिंसक रूप धारण कर लेता है । पिछले दिनों इस तरह की कई घटनाएं हुई हैं और अनवरत हो रही हैं जिनमें भीड़ इकट्ठी करके किसी निर्दोष पर देशद्रोही का आरोप लगाकर उसकी पिटाई की जाती है और पूरा समाज और सरकारी तंत्र तमाशबीन होकर देखता रह जाता है । न्यायालय के प्रांगण में इस तरह का अन्याय होना हमारे संविधान और कानून की मर्यादा को तार–तार करता है ।

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