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Agni Nahi Maun

(5.00) 1 Review(s) 
2021
978-81-953984-4-7

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अग्नि नहीं मौन’ में जीवन और जगहों के यादनामे की बेतरतीब इबारतें हैं । यह व्यक्ति और रचनाकार की ऐसी अबूझ यात्रा है जो अनेक दुर्गम रास्तों से होते हुए किसी मुकाम पर पहुंचने से पहले बार–बार टूटती और बिखरती है । खुद के बनने–ढलने के साथ अपने समय से मुठभेड़ और जद्दोजहद इन संस्मरणों को पूरे युग का एक कोलाज बना देती है जिसके बीच लेखक दुनिया को देखने का नज़रिया हासिल करता है । नास्टेल्जिया यहां किसी तरह का पलायन नहीं है बल्कि यथार्थ की पथरीली ज़मीन पर पांवधरने का हौसला जुटाने की कोशिशों के म/य जीवन–संघर्ष को समझने का जरिया भी है । इसमें यादों के केन्द्र में एक गांव है जहां ग्रामीण हिंदुस्तान का जीता–मरता नज़ारा देखा जा सकता है तो दूसरी ओर विकसित होता कस्बा है जो खुद भी कभी गांव रहा था । यह सफरनामा बहुत खुले ढंग से पारिवारिक नाते–रिश्ते में बंधते–उलझते एक सघन आत्मावलोकन में तब्दील हो जाता है जो लेखकीय यात्रा का साक्ष्य भी है ।

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Reviews
अग्नि नदी मौं एक सशक्त कहानी है जिसने मुझे अपनी जड़ों से जोड़े रखा। पात्र इतने वास्तविक लगते हैं कि आप उनके साथ हंसते और रोते हैं। कहानी का कथानक पेचीदा है और अंत तक आपको बांधे रखता है। मैं इस पुस्तक की अत्यधिक प्रशंसा करता हूं और निश्चित रूप से इसे अपने दोस्तों को सुझाऊंगा
Sagar Bishnoi, Dholpur