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Angrej Daku

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2016
978-93-81997-93-2

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सन् 1918 में प्रकाशित ‘अंग्रेज डाकू’ एक जासूसीनुमा उपन्यास है । इसमें एक अपराधी अंग्रेज चरित्र मिल्टन की कहानी हैµजो एक चतुर–चालबाज चोर था । गिरफ्तारी के बाद वह फरार हो जाता है जिसे तलाशने की जिम्मेदारी ‘मैं’ पुलिस अधिकारी को मिलती है । इस काम में अलग से लगे हैं, सिपाहियों सहित अन्य अंग्रेज अधिकारी हेवेट और हाईन वारेन । अपराधी भागता है और ये पीछा करते हुए–मध्यप्रदेश अंचल में भटकते हैं और इसी की दास्तान में दिलचस्प तरीके से उपन्यास आगे बढ़ता है । इस दरम्यान दो बातों की ओर पाठकों का ध्यान खासतौर से जाता है । एक तो अंग्रेज अधिकारी हेवेट द्वारा बार–बार भारतीय अधिकारी ‘मैं’ को नीचा दिखाने, तौहीन करने और लग जाने वाली कटु बातें कहने और दूसरी ओर इनकी तलाश प्रक्रिया में आये कुछ प्रसंग । अन्त में अंग्रेज अधिकारी हेवेट की इच्छा और अपेक्षा के विपरीत भारतीय अधिकारी ‘मैं’ ही मिल्टन को पकड़ने में सफल हो जाता है । ‘मैं’ की ओर से जगह–जगह कुछ ऐसी बातें सामने आयी हैंµजो लेखक की मंशा और आशय को सामने लाती हैं । हैमिल्टन जब पहली बार पकड़ा जाता है तो अपना अपराध स्वीकार कर न्यायालय की सहानुभूति पा मात्र तीन वर्षों के लिए ही कैद की सजा पाता है ।

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