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Cheekh

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2016
978-93-81997-46-8

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समकालीन हिन्दी कहानी साहित्य के परिदृश्य में बदलते तेवर के साथ अपनी सार्थक उपस्थिति दजर्“ कराने वाली कथाकार हैं उर्मिला शिरीष । सामाजिक सच को सार्थकता और सोद्देश्यता के साथ कहानी की ‘शक्ल’ में परोसनेवाली कथाकार शिरीष अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से कई मोर्चों पर एक साथ लड़ती नज“र आती हैं । काल्पनिक दुनिया से दूर रहने वाला उर्मिल जी का कथा मानस शुरू से समाज और जीवन के ज्वलंत मुद्दों के रेशे–रेशे को दर्ज“ करता आया है । यही वजह है कि पाठक उनकी कहानियें के साथ सहज की तादात्म्य स्थापित कर लेता है । फिर उर्मिला जी अपने समाकालीन यथार्थ को जिस ताजगी के साथ पेश करती हैंय उससे उनकी सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक समझ साफ हो जाती है ।

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