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Dhal Raha Hai Din
‘ढल रहा है दिन’ विजेन्द्र की नौ लम्बी कविताओं का पाँचवा संकलन है । महत्त्वपूर्ण और पठनीय । इसकी अधिकतर कविताएँ सन 1970 के दशक में लिखी गयीं । लेकिन उनका संशोधित रूप सन 2013 में पूरा हुआ । ये लम्बी कविताएँ विजेन्द्र के विपुल जीवन अनुभवों, लोक–सम्पृक्ति, प्रकृति–अनुराग, मानवीय करूणा, सात्विक क्रोध, अन्याय के विरूद्ध प्रतिरोध के साथ–साथ निजी दुख–दर्द, धीरज, सहनशीलता, विनम्रता से समन्वित हैं । उन्होंने अपने मध्यवर्गीय व्यक्तित्व का रूपान्तरण करके उसे लोक से एकात्म कर लिया है ।
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