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Faisla Kar
पेशे से मेडिकल डॉक्टर और शौक से लेखिका, डा. अनुपमा गुप्ता की यह चौथी प्रकाशित पुस्तक है। इससे पहले इनके तीन कविता संग्रह आ चुके हैं । सच्ची घटनाओं और संवादों पर आधारित यह पुस्तक लेखिका के अपने भाई अनुराग गुप्ता के, असाध्य और रेयर बीमारी 'हाई ग्रेड स्पिंडिल सेल सार्कोमा ' के साथ संघर्ष की दास्तान है । इसमें जहाँ एक ओर उन का हौसला है वहीं दूसरी ओर वे कविताएँ भी हैं जो लेखिका ने उनके लिए लिखीं | यह दुखद है , कि एफसीआई के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पद पर कार्यरत अनुराग मात्र 53 साल की अवस्था में नहीं रहे । पुस्तक की भूमिका में सीनियर आईएएस और बिहार के चीफ सेक्रेटरी त्रिपुरारी शरण लिखते हैं- ' फ़ैसला कर' एक उच्चतम श्रेणी का साहित्य सृजन है जो शिल्प और कथ्य, दोनों दृष्टियों से अद्भुत है। पाठकों को संदेश देते हुए,बत्रा अस्पताल, दिल्ली के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. एस.सी.एल. गुप्ता ने लिखा है "यह संस्मरण और कविताएँ उन मरीज़ों और नातेदारों को कष्ट से जूझने में मददगार हो सकते हैं , जो गंभीर बीमारी के चलते निराश हो चले हैं। उम्मीद है कि गहरी आस्था और सकारात्मकता से भरी यह किताब,हज़ारों-लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन कर, लोकप्रियता के नए आयाम छुएगी।" जो व्यक्ति महीने भर से बिस्तर में लेटा न हो;जिसकी हृदय की और साँसों की रफ़्तार लगातार दोगुनी गति से चल रही हो;जिसके मर्ज़ का कोई इलाज न हो; जिसे यह बता दिया गया हो कि अब स्थितियाँ दिन-ब-दिन बदतर होनी हैं.. उससे राहत के कौन से शब्द साझा किए जाते! मुझे अपने शब्द झूठे लगने लगे।मुझे अपनी दिलासा, अपनी कविताएँ सब कुछ झूठा लगने लगा। उसकी तकलीफ़ के सामने हमारा सारा ज्ञान बौना दिख रहा था। मेरे पास एक ही मार्ग था कि मैं उसे बोल दूँ कि अब पीड़ा ही तुम्हारा परिधान है.. इसी संकलन से । मूल्य:195 रुपए मात्र पेज: 160 प्रकाशक का पता: अनन्य प्रकाशन ई - 17, पंचशील गार्डन, नवीन शाहदरा दिल्ली - 110032 फोन नं. -011-22825606, 22824606 अनुपमा की कविताएँ उन्हें भीड़ से अलग करती हैं। एक अलग कवयित्री की अलग-सी कविताओ के साथ उनके उद्भव के स्रोत को पढ़ कर आप भी अलग-सा आस्वाद पाएँगे। ऐसा मुझे विश्वास है। -मनोहर चमोली ‘मनु’ अध्यापक, पत्रकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार
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