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Gurjari

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2020
978-93-89191-47-9

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पाँच बजे का अलार्म बजा । मन हुआ, इसे बन्द कर दे । हाथ मोबाइल की ओर बढ़ा पर आभा ने हाथ खींच लिया । मन को उतनी ही जोर से भीतर की ओर खींचकर उठ खड़ी हुई । बाथरूम गई । पाँच मिनिट में वापस आकर खटाखट नीचे पहुँचीं! सीधी किचेन में कल की कटी रखी सब्जियां सबसे पहले छोंककर कुकर बन्द किया । तुरन्त ख्याल आया, अभी चिल्लायेंगे यह क्या किया, छींकेंगे और भोंकेंगे । तुरन्त एकजास्ट फैन का स्विच आन किया । दूसरे, कुकर में दाल रखी । उसे बन्द किया । तीसरे, बर्नर पर चाय का पानी चढ़ाया । ऊपर पहुँचकर साहब को जगाया । उन्होंने कहा, ‘अरे मैं तो जगा ही हुआ हूँ ।’ बेटे को आवाज दी । नहीं उठा । उसके कमरे में जाकर जगाया । नहीं उठा तो चादर खींच दी । चिल्लाया, ‘सोने दो मुझे, पाँच मिनिट और’, कहकर चादर फिर खींच ली उसने । सो ले बेचारा पाँच मिनिट और, कहती हुई नीचे उतरी । चाय का पानी उबल गया था । एक कप चाय बनाकर पीने बैठी ही थी कि घण्टी बजी । एक घूँट लेकर दरवाजा खोला । चक्कू बेन आ गई । उसने पूछा, ‘पहले क्या करूँ भाभी ?’ ‘तू पहले आपने हाथ–पाँव धो ले । उसके बाद किचेन में आ ।’ चक्कू बेन का नाम शकुन्तला है । घर में कुछ लोग शकु बेन भी कहते हंै । पापा उसे प्यार से चक्कू बेन पुकारते हैं । सुन्दर, छरहरी चक्कू बेन गजब की फुर्तीली लड़की है । चूड़ीदार, बिना बांह का कुर्ता । दुपट्टा आते ही उतारकर रख देती है और काम शुरूकर देती है । ज्योंही हाथ–पाँव धोकर किचेन में घुसी भाभी का आदेश मिला, ‘जा दौड़कर ऊपर चली जा । भैया न उठा हो तो उसे उठाकर बाथरूम भेजकर आ जा जल्दी । नाश्ता और ले जाने वाले टिफिन का काम सारा अभी बाकी पड़ा है ।’ चक्कू भागती हुई सीढियां चढ़ गई । भैया सो रहा था, चादर खींचकर उठाया । जोर से बिगड़ा वह ‘क्यों खींची चादर ?’ और उठाकर उसे गले से पकड़ता हुआ बोला, ‘बोल, क्यों खींची ?’

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