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Ishq Faramosh
पिछले कई दिनों से अबोला चल ही रहा था । सोनिया ने अपनी कुछ सहेलियों से सलाह–मशविरा किया और रौनक पर ये गंभीर आरोप लगा कर पुलिस म अर्जी दाखिल कर दी । ताकि वह दबाव म आ कर सोनिया की घर बदलने की बात मान जाए । ‘आप बच्चों से ही पूछ लीजिये । बच्चे तो झूठ नहीं बोलते न ।’ ये कह कर सोनिया ने अदिति को टहोका मारा । और अहिस्ता से कहा, ‘बोलो बेटे, जो कहना है न पुलिस अंकल से कह दो ।’ ‘हाँ अंकल । मेरे पापा बहुत गंदे हैं । हम चॉकलेट नहीं ला कर देते । पिक्चर भी नहीं दिखाई । सन्डे के बाद अभी तक नहीं दिखाई । ‘अदिति ने कुछ रटा–रटाया और कुछ अपनी तरफ से जोड़ा । कह कर वो अपने पापा की तरफ देख कर जोर से हंस भी पड़ी । रौनक भी हंस पड़ा । वह भाग कर उसके पास आ गयी और फिर उसकी गोद म गाल से गाल सटा कर बैठ गयी । सिंह भी हंस पडा, ‘ठीक कहती हैं मैडम आप । बच्चे कभी झूठ नहीं बोलते ।’ किरण की ज़िंदगी एक मुस्तकबिल मशीन बन कर रह गयी है । सुबह उठती है । रात भर की मुश्किलों को घसीट कर ज़ेहन से उतारती है । आसिफ के संसर्ग के आवेशों को दिमाग से, जिस्म से उतार फकने म खासी जद्दो जहद अब नहीं करनी पड़ती । इसकी वजह तो कई हैं । मगर ख़ास वजह यही है कि अब उसे इसकी आदत सी हो गयी है । दिन बीतते गए और बच्ची का नामकरण भी हो गया । इटावा के आसिफ के पुश्तैनी घर म जा कर ये काम किया गया । हालाँकि वे दो दिन के लिए आसिफ किरण और बच्ची होटल म ही रहे । आसिफ किरण को एक ही बार अपने घर ले कर गया है । एक तंग गली म मौजूद तीन मंजिला छोटी सी ज़मीन पर बने घर म करीब बारह सदस्य रहते हैं । जिनके लिए सिर्फ एक बाथरूम है । किरण के परिवार म सिर्फ माँ सुजाता है जो इंग्लैंड म थी और बीमारी की वजह से नहीं आ पाई । कनिका ने नाश्ते की प्लेट उसके हाथ म पकड़ा कर अपनी बांग्ला मिश्रित हिंदी म कहा था, ‘माँ नहीं पीयेगी तो बच्चा दूध कैसे खायेगा ?’ उस दिन किरण ने रात तक तीन गिलास भर कर दूध पिया था । रात भर उसका लिबास दूध से लथपथ रहा । नीरू ने हमेशा की तरह रात म दो बार दूध पिया था लेकिन किरण की छाती थी कि जैसे दूध की नदियाँ बहाए जा रही थी । उसके दिन और रात मानो लोहे की एक सड़क बन गए थे । जिन पर वह मज़बूत चमड़े से बने जूते पहने चल रही थी । पैरों म लगातार दर्द होता रहता था जो बढ़–चढ़ कर सीने म रखे एक मासूम से मांस के टुकड़े तक पहुँच जाता । कभी कभी इससे भी ऊपर सर म होने लगता । वह तमाम कोशिश करती कि किसी तरह कोई पुल बन जाए उस घर म मौजूद एक मर्द और औरत के बीच जो इन सारे दर्दों की दवा साबित हो सके । लेकिन कुछ न होता । मर्द अपनी मर्दानगी म जकड़ा था । औरत अपनी बेबसी म । और एक नन्ही सी मासूम जान इन सब के बीच एक खूबसूरत महकते फूल की मानिंद खिलती जा रही थी । किरण को डर लगने लगा था इस फूल के भविष्य को लेकर ।
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