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Kab Tak Pukaru
नट कई तरह के होते हैं। इनमें करनट जरायमपेशा कहे जाते हैं। इनकी कोई नैतिकता नहीं होती। इनमें मर्द औरत को वेश्या बनाकर उसके द्वारा धन कमाते हैं। ज्यादातर ये लोग चोरी आदि करते हैं और ढोल मंढ़ना, हिरन की खाल बेचना इनका काम है। इनकी औरतें डोमनियों की तरह नाचती हैं। डोम जरायमपेशा नहीं हैं, पर उनको भंगी का सा दर्जा दिया जाता है। ऊँची जातों के लोग अक्सर डोमनियों से नाजायज़ ताल्लुक रखते हैं, पर डोमनियाँ यह अपने पति को नहीं मालूम होने देतीं। करनटों में छूट है। वहाँ कोई बुराई 'सेक्स' के आधार पर नहीं मानी जाती। वे लोग हिन्दुओं के देवी-देवताओं को मानते हैं। साधारणतया नट मोर की ढलैया बनाते हैं; कस्तूरी, शहद, रोज के सींग, सांडा, और ऐसी दवादारू जो पौरुष को उत्तेजित कर सकें, बेचते हैं। नटों में छूआछूत चलती है, करनटों में नहीं। आपस में ही व्याह-शादी कर लेते हैं। संपेरों की तरह इनमें भी शादी में ब्राह्मण नहीं बुलाया जाता। पहले कुछ भी रहा हो, पर अब सब ब्राह्मणों की इज़्ज़त करते हैं, उनको पूज्य मानते हैं। मुसीबत में उन्हें सीधा देते हैं, लेकिन वह सूखा माल होता है। अच्छे ब्राह्मण उनसे कुछ नहीं लेते। कुछ ब्राह्मण, जो नीचे समझे जाते हैं, उनसे ले लेते हैं, खासकर जो कुम्हारों के पुरोहित होते हैं और देवी की पूजा करते हैं।
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