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Kale Safed Raste
राकेश भ्रमर का यह उपन्यास ग्रामीण और शहरी परिवेश की स्थितियों और परिस्थितियों का वर्णन करता हुए एक प्रेम कहानी के साथ आगे बढ़ता है । उपन्यास में ग्रामीण जीवन की विषम परिस्थितियों, विसंगतियों, जातिगत भेदभाव, गरीबों के शोषण और दबे – कुचले लोगों पर होने वाले अत्याचारों का चित्रण प्रामाणिकता के साथ किया गया है । इसके साथ ही प्रादेशिक राजनीति और ग्रामीण स्तर पर होने वाली राजनीति में होने वाली उठापटक का भी बखूबी वर्णन किया गया है । उपन्यास के पात्र जीवन्त हैं, और वह कठिन परिस्थितियों के बीच भी अपनी जिजीविषा को बचाए रखने में सफल होते हैं । उपन्यास के कथानक से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि पे्रमचंद के समय और आज के समय में बहुत अधिक अन्तर नहीं आया है । अगर कुछ बदला है, तो वह केवल बोली–भाषा और जीवन–शैली में बदलाव है । गरीब आज भी एक रोटी के लिए संघर्षरत है, जैसा पहले था । उसका जीवन आज भी उतना ही कठिन है, जितना सौ साल पहले था । उसका शोषण आज भी समाप्त नहीं हुआ है । कथानक बहुत रोचक है, और सहज गति से आगे बढ़ता है । बीच–बीच में कुछ मनोरंजक प्रसंग भी हैं, जो उपन्यास की गति को तीव्रता प्रदान करते हैं । भाषा में कहीं भी बोझिलता नही ंहैं । शैली में एक सहज प्रवाह है, जो पाठक को अंततक बां/ो रखने में सफल रहती है । उपन्यास में जिस तेजी से घटनाएं घटती हैं, उसी तेजी से पाठक के मन में यह उत्सुकता बनी रहती है कि आगे क्या होगा ?ज्यादातर घटनाओं का विवरण लेखक ने संवादों के मा/यम से दिया है । इससे रोचकता बढ़ जाती है । उपन्यास में शिक्षा के महत्त्व को प्रमुखता से दिखाया गया है । लेखक यह बताने में सफल रहा है कि अगर मनुष्य शिक्षित है, तो वह समाज के लिए केवल उपयोगी ही नहीं होता, बल्कि समाज को एक सार्थक सोच और दिशा प्रदान कर सकता है । -राकेश भ्रमर
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