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Karmbhumi

(5.00) 2 Review(s) 
2016
978-93-81997-74-1

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Reviews
यह कहानी दर्शनीय है और अपनी गम्भीरता के कारण से प्रसिद्ध है, जो समाज की अध्यात्मिक और सामाजिक प्रतिबिम्ब को व्यापक रूप से प्रस्तुत करती है।
Rajendra Sharma, Wardha , Maharastra
यही कारण है कि इस किताब की भव्यता को परखने के लिए किसी समीक्षा की ज़रूरत नहीं है। पहले पृष्ठ से ही, यह पाठक को बांधे रखती है और ऐसी कहानी गढ़ती है जो पाठक को खुद को उसका हिस्सा बना लेने पर मजबूर कर देती है। यह एक आदर्शवादी के जीवन की कहानी है जो देश को जकड़ने वाली बुराइयों को दूर करना चाहता है और इस यात्रा के दौरान उसका विवाह एक ऐसी महिला से होता है जो चरित्र में बिल्कुल विपरीत होती है। वह चाहती है कि उसका पति समाज और देश के लिए काम करने से पहले घर की ज़िम्मेदारियाँ निभाये। कर्मभूमि वह क्षेत्र होता है जहाँ व्यक्तियों का चरित्र और नियति उनके कार्यों के माध्यम से बनता और प्रकट होता है; यहाँ यह कर्मभूमि "मानव जीवन" है। यह कहानी कई अन्य कहानियों से जुड़ी हुई है जो उपन्यास को अद्भुत बना देती है।
Akash Pandey, Kanpur