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Lockdown Days
वायुयान से बाहर आया, तो एयरपोर्ट पर भी अफरा–तफरी मची थी । कई फ्लाइट्स एक साथ आई थीं । सभी यात्री आगे बढ़ रहे थे । जल्द से जल्द घर जाना चाह रहे थे । पर जांच के लिए रुकना जरूरी था । जांच काउन्टर कहां है, इसका पता नहीं चल रहा था । ‘‘कृपया इंतजार करें ।’’ बड़े से हॉल में अनाउंसमेंट हुआ । एक बैरियर के पीछे रुकना पड़ा । यहां से यात्रियों की लाइन बननी शुरू हो रही थी । मैं भी भीड़ का एक भाग बना खड़ा रहा । लोग आपस में बातें कर रहे थे, जो अनचाहे ही कानों में जा रही थीं । एक सहयात्री दूसरे से कह रहा था, ‘‘कई देशों में तो बहुत बुरा हाल है । चाइना के बाद इटली, स्पेन––– । लोग बीमारी को रोक नहीं पा रहे और चिकित्सा की सुविधा उपलबध नहीं है । पता नहीं क्या चल रहा है ?’’ ‘‘हमारे देश में ? यहां की मेडिकल सिचुएशन कैसी है ?’’ ‘‘न्यूज़ नहीं देखते हैं क्या ? बाजार में मेडिकल सामानों की कमी आ गई है । सैनिटाइज़र मिल नहीं रहा । कहा जा रहा है कि अप्रैल के अंत तक बीस लाख कोरोना संक्रमित होंगे भारत में ।’’ -इसी उपन्यास से
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