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Sampurna Upanyas

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2022
978-93-92380-29-7

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महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म 1896 को बंगाल के मेदिनीपुर जिले के महिषादल नामक देशी राज्य में हुआ । वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़ाकोला नामक गाँव के निवासी थे । निराला जिस दिन जन्मे, उस दिन बसंत पंचमी थी । इस दिन जन्म लेने के कारण निराला खुद को सरस्वती पुत्र कहा करते थे । परम्परागत शिक्षा हाईस्कूल तक प्राप्त कर सके । निराला को कई भाषाओं का ज्ञान था । बांग्ला, अंग्रेजी और संस्कृत पर समान रूप से अधिकार रखने वाले निराला ने हिंदी कविता के ‘छंद के बंध’ खोल दिए । आजीविका के लिए कभी संपादन का कार्य किया तो कभी अनुवाद का । स्वतंत्र लेखन ही अर्थाजन का आधार रहा । 1922–23 ई– में ‘समन्वय’ (कलकत्ता) का पत्रिका का सम्पादन किया । फिर 1923 में ‘मतवाला’ मंडल में शामिल हुए । कलकत्ता छोड़ा तो लखनऊ आए, जहाँ गंगा पुस्तकमाला कार्यालय और वहाँ से निकलनेवाली मासिक पत्रिका ‘सुधा’ से 1935 ई– के मध्य तक सम्बद्ध रहे । 15 अक्टूबर 1961 को इलाहाबाद में उनका निधन हुआ ।

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