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Sangharsh
विश्वंभरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ (1899–1945) प्रेमचन्द परम्परा के ख्याति प्राप्त कहानीकार थे । प्रेमचन्द के समान साहित्य में आपका दृष्टिकोण भी आदर्शाेन्मुख यथार्थवाद था । कौशिक जी का जन्म 1899 में पंजाब के अम्बाला नामक नगर में हुआ था । इनकी अधिकांश कहानियाँ चरित्र प्रधान हैं । इन कहानियों के पात्रों में चरित्र निर्माण में लेखक ने मनोविज्ञान का सहारा लिया है और सुधारवादी मनोवृत्तियों से परिचालित होने के कारण उन्हें अन्त में दानव से देवता बना दिया है ।
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