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Somnath
अब से लगभग हजार वर्ष पहले इसी स्थान पर सोमनाथ का कीर्तिवान महालय था, जिसका अलौकिक वैभव बदरिकाश्रम से सेतुबन्ध रामेश्वर तक, और कन्याकुमारी से बंगाल के छोर तक, विख्यात था । भारत के कोने–कोने से श्रद्धालु यात्री ठठ के ठठ बारहों महीना इस महातीर्थ में आते और सोमनाथ के भव्य दर्शन करते थे । अनेक राजा–रानी, राजवंशी, धनी–कुबेर, श्रीमन्त–साहूकार, यहाँ महीनों पड़े रहते थे और अनगिनत धन, रत्न, गाँव, धरती सोमनाथ के चरणों पर चढ़ा जाते थे । इससे सोमनाथ का वैभव अवर्णनीय एवं अतुलनीय हो गया था । --इसी पुस्तक से
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हिन्दी साहित्य का एक कालजये उपन्यास है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लेखन सोमनाथ की और आकर्षित करता है। भारत की समृद्ध एवं सम्पन्त्ता का कैसे पतन हुआ।