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Talab Jharkhand

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2019
978-81-90241-91-5

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बहता पानी किसी सरहद को नहीं मानता । जमीन स्थिर होती है-उसकी सीमाएं किसी देश और उसकी राष्ट्रीयता और राष्ट्र–राज्य की पहचान करती हैं । जमीन की स्थिरता और उसकी सीमाओं की संवेदनशीलता पड़ौसी देशों के रिश्तों को परिभाषित करती है, नियंत्रित करती है । जमीन के मामले में पड़ोसी को पड़ोसी ही रहना है । लेकिन वह पड़ोसी भाई होगा या दोस्त होगा या दुश्मन होगाµइसका फैसला किसी देश की अंदरुनी शासन व्यवस्था कर सकती है और पड़ोसी देशों की एक जैसी या भिन्न शासन व्यवस्था उनके बीच के रिश्तों को बना सकती है, बिगाड़ सकती है या बदल सकती है । असीम होने के बावजूद सबके लिए समान आसमान पर अपनी राजनीतिक प्रभुता कायम रखने की कोशिश पड़ोसी देशों के बीच के सम्बंधो को गर्म या ठंडा कर सकती है । उससे एक देश कमजोर और दूसरा देश मजबूत साबित हो सकता है । यानी जमीन और आसमान का राजनीतिक विभाजन किया जा सकता है लेकिन बहता पानी किसी भौगोलिक या शासन व्यवस्था की सीमाओं को नहीं मानता । पड़ोसी देशों से होकर बहता पानी उनकी विविध संस्कृतियों को सींचता है लेकिन उसे किसी एक राष्ट्रीयता या राजनीतिक व्यवस्था की सीमाओं में कैद नहीं किया जा सकता । बहते पानी को बरतने के संदर्भ में हर स्तर पर पड़ोसी देशों को संयुक्त सोच, सामंजस्य और सहभागिता निभानी पड़ती है । इसके सिवा और कोई विकल्प नहीं है । अन्यथा बहता पानी पड़ोसी देशों में किसी को नहीं बख्शता । ---इसी पुस्तक से

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