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Un Dino

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2017

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आ के जाने के बाद माँ ने नरेन से बात की । वह बोले, ‘नहीं माँ, मुक्ता को मेरठ ले जाना मुझे पसन्द नहीं । बात नहीं बनी तो मुक्ता के मन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा । पढ़ी–लिखी लड़की है । उसकी इच्छा–अनिच्छा का ख़याल रखना होगा । हाँ, चिट्ठी लिख देता हूँ । जब उसे सुभीता होगा, लड़का दिल्ली आकर देख जाएगा ।’ भैया ने उसी दिन बुआ और रजतकुमार दोनों को पत्र डाल दिए । उत्तर भी आ गया कि बड़े दिन की छुट्टियों में दिल्ली आना होगा, तब मुलाकात होगी । भाभी ने मुक्ता को बता दिया । मुक्ता चुपचाप बैठी रही तो भाभी का मज़ाक का मूड हो आया । मारे गुस्से के मुक्ता की साँस फूल गई । पैर पटकती कमरे से निकल गई । मुक्ता के प्राणों में धुआँ घुट रहा है । किन्तु मुक्ता अब रोती नहीं बिलकुल भी । पढ़ाई भी उसे एकदम व्यर्थ लगती है । कविता पढ़ना उसने बन्द कर दिया है । बोज्यू अभी भी बहुत खामोश रहती हैं । भाभी से भी अधिक हँसती–बोलती नहीं । मुक्ता देखती है तो इच्छा होती है कहे, ‘बोज्यू, तुम क्यों चिन्ता में हो ?तुम्हारी आँख का एक–एक आँसू मुक्ता को भगवान से ज्यादा है । मुक्ता तुम्हें दुखी नहीं देख सकती ।’ सोचते–सोचते वह बहक जाती है । कभी स्वयं ही पागल–सी हँस पड़ती है । चन्द्रमोहन का पत्र वापसी डाक से आ गया । ‘सुबह की गाड़ी से आ रहा हूँ । यूनिवर्सिटी के स्टॉप पर ग्यारह बजे मिलना, अन्यथा मुझे घर आना पड़ेगा ।’ मुक्ता के सर्वांग में थरथराहट दौड़ गई । झल्लाहट भी हुई । जाने की उसकी इच्छा नहीं । पर जाना ही पड़ा । घर पर वह उसे किसी हालत में भी आने नहीं देना चाहती थी । ‘बोज्यू’ से

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