Bhuvneshwar

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About Bhuvneshwar

जन्म : 1910 ई. में शाहजहाँपुर (उ.प्र.)। शिक्षा भी वहीं से।
मूल नाम: भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव।
भुवनेश्वर ने पश्चिम के आधुनिक साहित्य का अच्छा अध्ययन किया था। इन पर इब्सन, वर्नाड शॉ, डी.एच. लारेन्स और सिगमंड फ्रायड का गहरा प्रभाव पड़ा, विशेषकर आरंभिक रचनाओं में। इनका जीवन बेरोजगारी और साहित्य-सृजन की दोहरी कठिनाइयों में बीता। जिन्दगी को उन्होंने कड़वाहट, तीखापन, विकृति और विद्रूपता में ही देखा था। संभवतः इसी कारण उनमें समाज के प्रति तीव्र वितृष्णा, प्रबल आक्रोश और उग्र विद्रोह का भाव प्रकट हुआ है। भुवनेश्वर इन्होंने अपनी रचनाओं में मध्यवर्ग की विडंबनाओं को कटु सत्य के प्रतिरूप के रुप में उकेरा। भुवनेश्वर ने हिन्दी में पाश्चात्य शैली के एकांकी की परंपरा चलाई। प्रेमचंद जैसे साहित्यकार ने भुवनेश्वर को भविष्य का रचनाकार माना था।
रचनाएँ: नाटक एकांकी-'एकाकी के भाव' (1931), 'प्रतिभा का विवाह' (1933), 'श्यामा: एक वैवाहिक विडम्बना' (1933), 'पतित शैतान' (1934), 'एक साम्यहीन साम्यवादी' (1934), 'रोमांस-रोमांच' (1935), 'लॉटरी' (1935), 'मृत्यु' (1936), 'स्ट्राइक' (1938), 'ऊसर' (1938), 'आदमखोर' (1938), 'रोशनी और आग' (1941), 'ताँबे के कीड़े' (1946), 'आजादी की नींद' (1948), 'जेरूसलम को' (1948), 'सिकन्दर' (1950), 'खामोशी' ।
कहानियाँ: 'भविष्य के गर्भ में', 'मौसी' (1934), 'हाय रे, मानव हृदय!' (1935), 'जीवन की झलक' (1935), 'एक रात' (1936), 'डाकमुंशी' (1935), 'माँ-बेटे' (1937), 'भेड़िये' (1938), 'मास्टरनी' (1938), 'सूर्यपूजा' (1939), 'लड़ाई' (1939), 'आजादी' (1941) 1
अनूदित नाटक 'एक विषाक्त घटना (1935), 'किन्नरी' (1940), 'राजा का प्रेम' (1940), 'इंस्पेक्टर जेनरल' (1941), 'कठपुतलियाँ' (1942)1
कविताएँ: 'पुकार', 'विश्वास', 'अँगूठी', 'ओ प्राण पपीहे बोल-बोल', 'दर्शन', 'गीत', 'रूथ के लिए', 'आँखों के घुंघ', 'बौछाड़ पर बौछाड़', 'खुल सीमासा', 'नदी के दोनों पाट' आदि। भुवनेश्वर की एकांकी रचनाएँ बड़ी सशक्त हैं। प्रेमचंद ने इनकी पहला एकांकी संग्रह 'कारवाँ' (1935) की समीक्षा जून, 1935 में 'हंस' में की और उस किताब को हिन्दी साहित्य का क्रान्तिकारी मोड़ कहा।
निवन : नवम्बर, 1957
ISBN 978-81-19141-35-7
अनन्य प्रकाशन
prakashanananya@gmail.com 9788119 141357

Books by the Author Bhuvneshwar