Pankaj Prashar
About Pankaj Prashar
पंकज पराशर
चर्चित आलोचक पंकज पराशर का जन्म 03 अगस्त, 1976 को बिहार प्रांत के सहरसा जिले के एक गाँव मोहनपुर में हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा गाँव में तथा उच्च शिक्षा पटना विश्वविद्यालय एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में हुई, जहाँ से उन्होंने एम.ए., एम.फिल और पी-एच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्हें गंभीर और विचारोत्तेजक आलोचना लिखने वाले आलोचक के रूप में जाना जाता है। उनकी अब तक प्रकाशित पुस्तकें हैं- 'पुनर्वाचन', 'रचना का सामाजिक पाठ', 'कविता के प्रश्न और प्रतिमान' और 'सलीम के शनिदेव' (टिप्पणी संग्रह)। 'विवेचना के रंग' तया 'कविता और लोकतंत्र' (आलोचना) पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य। मूल लेखन कार्य के अतिरिक्त आपने पर्याप्त अनुवाद कार्य भी किया है, 'गोवध और अंग्रेज', 'मैथिली कविता संचयन', तथा 'हेरायल अर्थ' आपके द्वारा अनूदित कृतियाँ हैं तथा एक अनूदित कृति 'क्लॉद लेवी स्वॉसः सात निबंध' प्रकाशनाधीन हैं। पत्र-पत्रिकाओं के लिए आपने क्लॉद मैक्के, लैग्सट्न ह्यूज़, पॉल एलुआर, राइनेर मारिया रिल्के, सादी युसुफ, नाज़िम हिकमत आदि की कविताओं को अनूदित किया है। इसके अतिरिक्त एबहार्ड फिशर, हकु शाह, दूस चैटविन के शोध आलेखों के अनुवाद एवं प्रमुख संरचनावादी फ्रेंच विद्वान क्लॉद लेवी स्त्रॉस के लेखों का चयन-अनुवाद एवं संपादन किया है। मैथिली में आपके दो कविता-संग्रह 'समय के अकानैत' एवं 'विलंबित कड़क युग मे निवद्ध' प्रकाशित हैं।
जीविका के लिए अध्यापन और पत्रकारिता का मार्ग चुनने वाले पंकज पराशर इन दिनों अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक हैं। इसके पूर्व वे वसंत महिला महाविद्यालय, वाराणसी में भी सहायक प्राध्यापक एवं 'कादविनी', 'दैनिक जागरण' तथा 'दैनिक भास्कर में समाचार संपादक रहे हैं। वे भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में एसोशिएट फैलो हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से रिसर्च अवार्ड-2016-18 के तहत अगले दो वर्षों तक वे बिहार के
दलित लोकाख्यानों पर अपना शोध कार्य करेंगे।
Books by the Author Pankaj Prashar
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