Sadanand Bhosale

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About Sadanand Bhosale

डॉ– सदानंद भोसले एक सफल अध्यापक, गंभीर अनुसंधाता, चिंतक तथा आलोचक के रूप में परिचित हैं । साथ ही वे एक प्रामाणिक संवेदनशील व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं । उनका कवि व्यक्तित्व इसी प्रामाणिक संवेदनशील व्यक्ति एक विशेष पहलु हैं । महानगरीय आपाधापी में भी उन्होंने अपने भीतर गाँव और गाँव के संस्कारों को सँजोए रखा है । विषम स्थिति में भी अपनी निश्छल जिजिविषा और मानवीय संवेदनाओं को बनाये रखने का अद्भुत साहस गाँव के संस्कारों का केंद्र होता है और पारदर्शिता गाँव के संस्कारों से संस्कारित व्यक्तित्व की पहचान । इसीलिए अनुभूति और अभिव्यक्ति में यहाँ एक सहज और सच्चा रिश्ता होता है । डॉ– सदानंद भोसले की कविता इसी ग्राम–संस्कारों से संस्कारित मनुष्य के मनुष्यता की सहज–सरल तथा प्रामाणिक अभिव्यक्ति है । कवि अपने भीतर तथा बाहर, इर्द–गिर्द के प्राकृतिक–अप्राकृति परिवेश, स्थिति–परिस्थिति को बिना किसी विचारों के पूवाग्रहों के देखता है, परखता है, संवेदित करता है और अभिव्यक्ति करता है । इसीलिए इन कविता में गाँव हैं, कस्बा हैं और महानगर भी है । मनुष्य तथा मनुष्य–समाज के कई चित्र इनमें बिंबित दिखाई देते हैं । यहाँ कोमलतम मन हैं और भूख की वेदना भी है । भाव हैं, भावुकता है और निर्भयता भी है, किसान है, मजदूर है, डॉक्टर है और ड्राइवर भी है । यहाँ अपनी समूची सच्चाई के साथ कल भी है, आज भी है और कल की चिंता और चिन्तन भी है । धव सोनटक्के प्रबुद्ध लेखक, आलोचक एवं पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, डॉ– बाबासाहेब अंबे-प्रोफेडसर डॉ– माकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद ,वर्तमान में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में सीनियर प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष।

Books by the Author Sadanand Bhosale