
Satishchandra ''Satish'
About Satishchandra ''Satish'
जन्म : 30 जनवरी 1948, फर्रुखाबाद जिले के खिनमिनी ग्राम में।
शिक्षा: बी.एस.सी., एम.ए. (दर्शन-शास्त्र)
कार्यक्षेत्र: किसानों, मजदूरों की समस्याओं के संघर्षों में सक्रिय भागीदारी। जलेस के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन से संबद्ध । जीविकोपार्जन हेतु कृषि आधारित रहे, लेखन कार्य सामाजिक उत्तरदायित्व समझकर निरंतर कर रहे हैं।
सतीशचन्द्र 'सतीश'
लेखन : पहली कविता 1968 में शिक्षक बंधु में प्रकाशित । कविता, लेख, कहानियां अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पगडंडी के पांव, अंधेरा हार जाएगा (कविता संग्रह), उपभोक्तावाद का दंश (सामजिक विषय), भोर का उजास (कहानी संग्रह) पुस्तकें प्रकाशित ।
सतीश चंद्र सतीश की यह किताब 'कराल कथा कोरोना की' हमें कोरोना काल में ले जाती है और उस दौर की एक बार फिर याद दिलाती है ताकि हम अपने अतीत से कुछ सीख सके और राजनैतिक, आर्थिक व प्रशासनिक दृष्टि से मानवीय और सामाजिक न्याय के आधार पर ऐसे फैसले करें जो एक बेहतर भविष्य की बुनियाद रख सकें। इस काल में ऐसे बदलाव हुए जिनसे लोगों की जीवन शैली बदल गई, लोगों की सोच बदल गई। कोरोना महामारी जहां लोगों के जीवन पर एक आपदा की तरह आई, वहीं धन्ना सेठों और कुबेरों के लिए एक वरदान के रूप में भी रही। इस बीमारी का फायदा उठाकार पहले से अमीर और अमीर हो गये। दवा कंपनियों का धन, कुबेरों की बराबरी करने लगा। सतीश चंद्र 'सतीश' ने अपनी इस किताब में इन संदर्भों को शामिल करते हुए अपने अनुभवों और विवेक से समय के इस कालखंड को देखा है और बेहद मानवीय होकर कलमबद्ध किया है। कोरोना काल को जानने के लिए 'कराल कथा कोरोना की' नाम की यह किताब एक दस्तावेज की तरह हमारे सामने है जिसे एक रचनात्मक गद्य की तरह पढ़ा जाना चाहिए।
Books by the Author Satishchandra ''Satish'
-
Karal Katha Corona Ki (Kisi Ki apda Kisi Ke Avsar)
Rs. 295.00 -20% OFF Rs. 236