Shivpujan Sahaye , Presented by Varun Bharti

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About Shivpujan Sahaye , Presented by Varun Bharti

जन्म 9 अगस्त, 1893, उनवाँस, ईटाड़ी, बक्सर (बिहार)।

शिक्षा: 1900-1903 तक प्रारंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में। 1913 में मैट्रिक परीक्षा में उतीर्ण। इंट्रेंस के पहले तक उर्दू-फारसी के विद्यार्थी थे। इंट्रेंस के समय उर्दू-फारसी छोड़कर हिन्दी, अंग्रेजी का अध्ययन किया। पारिवारिक परिस्थितियों के कारण कॉलेज की शिक्षा से वंचित। 1913 में ही, बनारस की अदालती-कचहरी में हिन्दी नकलनवीस की नौकरी की। 1914 में आरा के जिस स्कूल में शिक्षा पाई थी, उसी में हिन्दी शिक्षक की नौकरी। साथ ही स्थानीय सेवा-समिति के संयुक्त मंत्री तथा नागरी-प्रचारिणी सभा के मंत्री भी रहे। 1917 में के. जे. एकेडेमी की नौकरी छोड़कर टाउन-स्कूल में हिन्दी शिक्षक नियुक्त। 1920-21 ई. गांधीजी के असहयोग आंदोलन में नौकरी छोड़ दी, दो-तीन महीने सक्रिय रहकर राष्ट्रीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हुए। 1923 में 'मतवाला' मंडल की स्थापना हुई और वे उसमें चले आए। 1939 से 1949 तक राजेन्द्र कॉलेज, छपरा में प्राध्यापक रहे। 1960 में 'पद्मभूषण' की उपाधि से अलंकृत। 1962 में भागलपुर विश्वविद्यालय से डी. लिट् की मानद उपाधि ।

प्रमुख रथनाएँ: 1912 में पहला लेख 'होली में सभ्यता का नाश' पं. सकलनारायण शर्मा द्वारा 'शिक्षा' में प्रकाशित। दूसरा लेख लाला भगवानदीन की पत्रिका 'लक्ष्मी' में।
देहाती दुनिया, 1926 (उपन्यास); बिहार का विहार, 1919; विभूति 1935, (कहानी-संग्रह); ग्राम-सुधार 1947; दो घड़ी 1949 (व्यंग्य); अन्नपूर्णा के मंदिर 1960 (ग्राम लेखन पत्रकारिता); मेरा बचपन 1960; वे दिन ये लोग 1965, बिंब: प्रतिविंव 1967 (संस्मरण); मेरा जीवन 1985 (आत्मकथा); शिवपूजन सहाय रचनावली (चार खंड if)संपादन : मारवाड़ी सुधार (1921-23); मतवाला (1923-24); माधुरी (1924); आदर्श (1922); समन्वय, मौजी, गोलमाल, उपन्यास तरंग (1922-26); बालक (1930); गंगा (1931); जागरण (1932); हिमालय (1946); साहित्य (1950-62); द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ (1933); राजेन्द्र अभिनंदन ग्रंथ (1950); अयोध्या प्रसाद खत्री-स्मारक ग्रंथ (1960)

निधन : 21 जनवरी, 1963

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