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Shivpujan Sahaye Kahani Samagra

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2025
978-93-48409-52-2

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आचार्य शिवपूजन सहाय प्रसाद-स्कूल के छायावादी कथाकार हैं। इसकी भाषा पर प्रसाद जी वाली प्रांजलता का गहरा प्रभाव है। गोकि शिवपूजन सहाय का जीवन और लेखन बेहद अव्यवस्थित और उतार-चढ़ाव वाला रहा। इसलिए इनके लेखन में कथा लेखन का हिस्सा काफी कम है। लेकिन उनका एकमात्र उपन्यास 'देहाती दुनिया' ने इतिहास रच दिया। इसे अनेक आलोचकों ने हिन्दी का पहला आंचलिक उपन्यास माना। वही स्थिति उनकी कहानी 'कहानी का प्लॉट' की रही। इस एक कहानी पर अनेक आलोचकों ने स्वतंत्र लेख लिखे। शिवपूजन सहाय की भाषा-शैली को लेकर पूरी हिन्दी में उनकी चर्चा रही। उनकी गणना हिन्दी के श्रेष्ठ गद्य-शैलीकार के रूप में होती है। वे संस्कृत प्रभावित तत्सम वाला प्रांजल गद्य भी उसी सिद्धहस्तता से लिखते थे, जिस तरह लोकभाषा भोजपुरी मिश्रित गद्य। आमफहम भाषा में भी उनका हाथ वैसे ही मँजा हुआ था जैसे उर्दू मिश्रित गद्य। हिन्दी के तमाम लेखक एक मायने में एकमत रहे कि आचार्य शिवपूजन सहाय जी का भाषा पर असाधारण अधिकार था।

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