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10 Amar Shaheed
'क्षमा वीरों का भूषण होता है शास्त्रों का यह वचन भारतीय शास्त्रों का है, इसकी बार-बार दुहाई देकर महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए अहिंसात्मक आंदोलन चलाया। इसके विपरीत अनेक क्रांतिकारियों का मानना था कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते, इसलिए उन्होंने अहिंसा की सुक्ति के जवाब में चाणक्य के एक वचन को प्रस्तुत किया, जिसका अर्थ है कि 'अग्नि, सांप व शत्रु को शेष छोड़ दिया जाता है, तो ये बदला लेने से नहीं चूकते।' इस शास्त्र वचन को हृदय में आत्मसात करके भारत के अनेक क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के विरूद्ध सशस्त्र लड़ाई लड़ी, भले ही यह जंग प्रत्यक्ष रही हो या फिर अप्रत्यक्ष अधिकांश क्रांतिकारी अपने संगठन व कार्यक्रम गुप्त रखते थे। अंग्रेजी शासन द्वारा शोषित जनता में उनका प्रचार नहीं था। अंग्रेजों के क्रूर व अत्याचारपूर्ण अमानवीय व्यवहारों से ही उन्हें इनके विषय में जानकारी मिली। विशेषतः काकोरी काण्ड के अभियुक्त रामप्रसाद विस्मिल तथा भगतसिंह और उसके साथियों ने जनता का प्रेम व सहानुभूति अर्जित की। भगतसिंह ने अपना बलिदान क्रांति के उद्देश्य के प्रचार के लिए ही किया था
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