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75 Kavitayen : Kedarnath Singh

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2025
978-93-48650-74-0

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केदारनाथ सिंह के समूचे काव्य संसार से 75 कविताएँ चुन लेना सचमुच एक मुश्किल काम है। खासतौर से मेरे जैसे व्यक्ति के लिए, जो पिछले तीन दशकों से केदार जी की कविताओं का निकट से पाठक रहा हो और प्रायः सभी कविताओं से उसका निजी संबंध जैसा बन गया हो। मुश्किल इसलिए भी कि ऐसे अनेक संकलन पहले से मौजूद हैं जिनमें केदार जी की चुनी हुई कविताएँ संकलित हैं। ज़ाहिर है, हर चयन के पीछे चयनकर्ता की अपनी रुचि काम करती है। यह चयन भी अपवाद नहीं है। फिर भी यहाँ एक खास तरह की वस्तुपरकता बरतने का आग्रह रहा है। हमारी कोशिश रही है कि यह चयन केदारनाथ सिंह की काव्य विशेषताओं का साक्षी बनने के साथ-साथ उनकी कविता की विकास यात्रा को भी इंगित करे। इसी विकास यात्रा को स्पष्ट करने के लिए कुछ शब्द। मनुष्य और मनुष्य का जीवन स्मृतियों का इतिहास है। भाषा का विकास और लिखने या दर्ज करने की कला का विकास वास्तव में स्मृतियों को सुरक्षित रखने की कोशिश का ही परिणाम है। कविताएँ भी इसी मानवीय कोशिश का सुफल हैं। कविता को मनुष्यता की मातृभाषा इसीलिए कहा गया है। स्मृतियों को लेकर मनुष्य जाति की सतत बेचैनी इसलिए भी है कि वह अपनी परम्परा, अपने समय के साथ अपनी आगामी पीढ़ियों से भी संवाद करना चाहती है। केदारनाथ सिंह की कविताएँ एक ही साथ अपने अतीत, वर्तमान और भावी से संवाद करती कविताएँ हैं।

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