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Aatpat Bain
रिपोर्ताज फ्रांसीसी भाषा का शब्द है जबकि रिपोर्ट अंग्रेजी शब्द । किसी अखबार के लिए जब कोई पत्रकार घटना का यथातथ्य वर्णन करता है तो वह रिपोर्ट कहलाता है । पर रिपोर्ताज में रिपोर्ट को कलात्मक रूप में यानी रेखाचित्र की शैली मैं प्रस्तुत किया जाता है जिस कथा तत्व की प्रधानता रहती है । इस प्रकार रिपोर्ताज लेखक को एक साथ पत्रकार और साहित्यकार दोनों की भूमिका निभानी पड़ती है । हिंदी साहित्य में विदेशी साहित्य के प्रभाव से ही रिपोर्ताज लिखने की परंपरा का प्रारंभ हुआ । हिंदी में शिवदान सिंह चैहान को प्रथम रिपोर्ताज लेखक माना जाता है । सन् 1938 ई– के दिसंबर में ‘लक्ष्मीपुरा’ शीर्षक से ‘रूपाभ’ पत्रिका में उनका रिपोर्ताज छपा था । उनके अतिरिक्त भदन्त आनन्द कौशलयायन (देश की मिट्टी बुलाती है), उपेन्द्रनाथ अश्क (पहाड़ों में प्रेममय संगीत), प्रकाशचंद गुप्त (अल्मोडे़ का बाजार), रांगेय राघव (तूफानों के बीच), शमशेर बहादुर सिंह (प्लाट का मोर्चा), निर्मल वर्मा (प्राग : एक स्वप्न) इत्यादि साहित्यकारों ने भी रिपोर्ताज विधा को समृद्ध किया है ।
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