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Ageya Vichar Kosh
यह संकलन तैयार करने में अज्ञेय जी की अब तक प्रकाशित एवं उपलब्ध प्राय: सभी पुस्तकों एवं पत्र–पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों को देखने का प्रयत्न किया गया है । अज्ञेय जी पर शोध करने वालों के साथ ही लेखकों, पत्रकारों, संपादकों, अध्यापकों और छात्रों सभी के लिए समान रूप से इसकी उपयोगिता असंदिग्ध हैं । यह संकलन अलग–अलग विषयों, लेखकों, पुस्तकों, घटनाओं, वादों, विवादों आदि पर अज्ञेय जी के विचारों का संकलन है । अज्ञेय जी ने किसी भी विषय पर क्या लिखा या कहाµइसका उल्लेख इस संचयन में करने का प्रयास किया गया है । अत: कहा जा सकता है कि अज्ञेय जी के लेखन में रुचि रखनेवालों और व्यक्ति के रूप में अज्ञेय जी को जानने की इच्छा रखनेवालों को इस संचयन से पता चलेगा कि उन्होंने किस विषय पर क्या कहा या लिखा । अज्ञेय जी पर शोध करनेवालों के लिए तो इसकी उपयोगिता असंदिग्ध है ही । इस संचयन में सभी उद्धरण पहले देवनागरी वर्णमाला के क्रम में विषयानुसार और उसके बाद प्रत्येक विषय के अन्तर्गत देवनागरी वर्णमाला के क्रमानुसार दिये गये हैं । उद्धरणों का संयोजन अक्षर–प्रति–अक्षर की अपेक्षा शब्द–प्रति–शब्द के क्रमानुसार किया गया है । संकलन की प्रविष्टियाँ देखते समय यदि यह बात ध्यान में रखी जाए यानी कि सभी प्रविष्टियाँ शब्द–प्रति–शब्द के क्रम में रखी गयी हैं, तो पाठकों को पुस्तक का उपयोग करने में आसानी होगी । जिन शब्दों के साथ योजक चिह्न का प्रयोग कर एक शब्द बनाया गया है, उन्हें शब्द–प्रति–शब्द के सही क्रम में रखने के लिए दो अलग–अलग शब्द माना गया है । विषय शीर्षक चुनने में जहाँ तक सम्भव हुआ है अज्ञेय जी द्वारा प्रयुक्त शब्दों को ही रखा गया है । -महेन्द्र राजा जैन
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