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Ahankar

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2024
978-81-19141-76-0

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"मुझे उन सब प्राणियों से घृणा है जो सुखी हैं; जो धनी हैं।" एक विलासभोगिनी स्त्री के मुख से यह वचन असंगत से जान पड़ते हैं किन्तु जो बड़े-से-बड़े शराबी हैं वह शराब के बड़े-से-बड़े निंदक देखे जाते हैं। मनुष्य के व्यवहार और विचार में ऐसा दृश्य मनोभावों का एक साधारण रहस्य है। थायस की आत्मविलास में भी शांति नहीं। अपनी सारी सम्पत्ति को अग्नि की भेंट करने के बाद जब पापनाशी के साथ चलती है उस समय वह निसियास से कहती है- "निसियास, मैं तुम जैसे प्राणियों के साथ रहते रहते तंग आ गई हूं... मैं उन सब बातों से उकता गई है जो मुझे ज्ञात हैं और अब मैं अज्ञात की खोज में जाती हूँ।" थायस यहां से मरुभूमि के एक महिलाश्रम में प्रविष्ट होती है और वहां आदर्श जीवन का अनुसरण करके वह थोड़े ही दिनों में "संत" पद को प्राप्त कर लेती है। थायस विलासिनी होने पर भी सरल-प्रकृत, दयालु रमणी है! एक समालोचक ने यथार्थतः उसे immoral immortal कहा है और बहुत सत्य कहा है। थायस अमर है। यद्यपि थायस का शव खोद निकाला गई है लेकिन अनाटोली फ्रांस ने उससे कहीं बड़ा काम किया है, उसने थायस को बोलते सुना दिया और अभिनय करते दिखा दिया। पापनाशी के साथ आश्रम को आते हुये वह कहती है

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