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Assam Band

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2024
978-81-972687-6-2

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कहानी आधुनिक काल के साहित्य की सर्वाधिक प्रिय विधा मानी जाती है। कहानी में जीवन की छोटी-बड़ी तमाम घटनाओं को, अनुभवों को संक्षेप, पर प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्ति दी जाती है। हिन्दी साहित्य के कथाकारों ने विविध प्रसंगों को अपनी-अपनी शैली से कहानी का रूप दिया है। द्विवेदी युग में हिन्दी कहानी का उद्धव हुआ, जिसने विकसित, पुष्पित एवं फलित होकर अब प्रौढ़ता को प्राप्त कर लिया है। हिन्दी कहानी साहित्य के विकास की इस प्रक्रिया में पूर्वोत्तर की उपस्थिति न के बराबर है। पूर्वोत्तर भारत अहिंदीभाषी प्रांत है। स्वाभाविक है कि इस क्षेत्र में हिन्दी भाषी प्रान्तों की अपेक्षा हिन्दी पठन-पाठन, चर्चा आदि कम ही होंगे। यही कारण है कि साहित्य के पन्नों पर यह क्षेत्र बहुत कम देखा जाता है। कई हिन्दी भाषी लेखकों ने पूर्वोत्तर भारत पर लेखन किया, उनमें से सबसे पहला प्रयास अज्ञेय का रहा। अज्ञेय ने कहानियों के साथ-साथ यात्रावृत्तांत और कविताएँ लिखकर हिन्दी में पूर्वोत्तर का सार्थक परिचय कराया। तदुपरान्त देवेंद्र सत्यर्थी ने उपन्यास लिखकर पूर्वोत्तर को हिन्दी साहित्य में शामिल किया। इसके बाद भी गैर-पूर्वोत्तर के साहित्यकार पूर्वोत्तर की पृष्ठभूमि में हिन्दी में साहित्य का सृजन करते रहे। इनमें से पूर्वोत्तर में रसे-बसे साहित्यकारों द्वारा लिखा गया साहित्य अपेक्षाकृत रूप से उत्कृष्ट कोटी का माना जाना चाहिए। एक प्रयास उन लेखकों का भी हुआ, जिन्होंने आजीविका के लिए या यात्रा के दौरान पूर्वोत्तर में आते समय साहित्य लिखा, जो शुद्ध और प्रामाणिक कम तथा भ्रामक और सनसनीखेज अधिक कहा जाना चाहिए। पूर्वोत्तर को सही-सही प्रकाशित करने के लिए पूर्वोत्तर के लेखकों द्वारा लेखन कार्य होना चाहिए।

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