- New product
Badalo Ko Aaina Samjho
एक साहित्यकार के घर जन्म लेने वाले शिशु को विरासत में मिलती है एक लेखनी और कुछ कोरे पन्ने। वो पन्ने जिनपर वह अपने हुनर से अपनी तकदीर उकेर सके। मैंने भी उन्हीं पन्नों और लेखनी से अपने सफर की शुरुआत की। बचपन से ही अपने पूज्य पितामह के सान्निध्य में रहा। उन्हीं के सान्निध्य और संस्कार से साहित्य के प्रति अभिरुचि बढ़ी। उन्होंने ही मुझमें कविता का बीज वपन किया। उनके प्रोत्साहन और छाया में देखते ही देखते कवि बन गया। कविता के बारे में यहाँ कुछ विशेष कहने की आवश्यकता नहीं समझता हूँ। परन्तु इतना अवश्य कहना चाहूँगा कि जब हृदय बुद्धि पर हावी हो जाए तो कविता है। आज के इस बुद्धिवादी दौर में एक कविता ही है जो हदय से हृदय की बात कहने का बीड़ा उठाए हुए है। शायद इन्हीं अर्थों में नीरज जी ने कवि होना सौभाग्य स्वीकार किया होगा। इस हवाले से खुद को भी सौभाग्यशाली मानता हूँ कि कविता रचने का साहस जुटा पाया। बस एक कसक है। आज जब यह संग्रह प्रकाशित होने जा रहा है तो बाबा नहीं हैं। परन्तु उनका मुस्कुराता चेहरा आज भी आँखों में बसा हुआ है। जहाँ भी होंगे खुश होंगे। उनके देहत्याग के बाद पहली बार कुछ लिख रहा हूँ। कवि, आलोचक, अध्यापक या कुछ भी और होने से पहले उनका हूँ, इस बात का सदैव गर्व रहेगा। इस संग्रह में कविता के कई रंग देखने को मिलेंगे, ठीक वैसे ही जैसे कि दुनिया। बाकी पाठकों के हवाले। वो इसे जिस योग्य समझें, स्वीकार है।