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British Upniveshvad aur Bhartiya Pratirodh-4 : Jai Hind
यह किताब इसी 'जय हिन्द' के एक सिपाही नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन संघर्ष को समर्पित है। नेताजी की तरह यह किताब भी अंग्रेजी सरकार के लिए आँख की किरकिरी साबित हुई और प्रेस से ही इस अधूरी किताब की पांडुलिपि को ज़ब्त कर लिया गया। इस किताब के लेखक श्री सत्यदेव विद्यालंकार भारत के स्वाधीनता संघर्ष से जुड़े नायकों के प्रख्यात जीवनीकार एवं पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं। वे राष्ट्रवादी पत्रकार, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके जीवन पर महर्षि दयानंद, महात्मा गाँधी और नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का गहरा प्रभाव था। गाँधी जी से प्रेरित होकर उन्होंने नमक सत्याग्रह (1930) एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी थी और जेल भी जाना पड़ा था। उनके लेखन कार्य में राष्ट्रप्रेम की भावना स्पष्ट्या झलकती है।
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