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Guzare Zamane Ki Yaadgar Filme
यह पुस्तक उन नामचीन चलचित्रों को याद करते हुए उनसे जुड़े विभिन्न कलाकारों को एक श्रद्धांजलि है जिन्हें आज हम सब भुला चुके हैं और आज के पत्रकार केवल सफ’ल फिल्मों की ओर ही ध्यान देते हैं जिनके साथ शायद उनका कुछ लाभ भी जुड़ा होता है । मैंने इन भूले–बिसरे चलचित्रों व उनसे जुड़े कलाकारों के वर्णन में बहुत–सी छुपी हुई और लुप्त होती हुई जानकारियों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है । इस पुस्तक को पढ़ते समय शायद आपको यह कहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी ‘यादे माज़ी अज़ाब है यारब छीन ले मुझसे हाफ्”ज़ा मेरा’ । हिन्दी सिनेमा साहित्य में, ज़्यादातर लेखन फिल्मी इतिहास के बारे में और उससे भी ज़्यादा फिल्मी हस्तियों के बारे में हुआ है । सितारों, संगीतकारों, गीतकारों, गायकों, और अनाम/बेनाम कलकारों के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है । फिल्मी संगीत और गीतों की भी बहुत चर्चा हुई है । इतना साहित्य होते हुए भी, खुद फिल्मों के बारे में बहुत कुछ नहीं लिखा गया है । - इसी पुस्तक की भूमिका से
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