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Hindi Bhasha Ka Vyvaharik Vyakarn

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2018
978-93-87145-74-0

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किसी भाषा की समुचित व्यवस्था अथवा उसकी शुद्धता का ज्ञान उस भाषा के व्याकरण के बिना संभव नहीं है । भाषा में पाए जाने वाले शुद्ध–अशुद्ध प्रयोगों का निर्णय उस भाषा के व्याकरण की सहायता से ही किया जा सकता है । व्याकरण भाषा के अधीन हैं और भाषा के अनुसार बदलता रहता है । वैयाकरण का काम यह नहीं कि वह अपनी ओर से नए नियम बनाकर भाषा को बदल दे । वह केवल इतना ही कह सकता है कि अमुक प्रयोग अधिक शुद्ध है अथवा अधिकता से किया जाता है । व्याकरण के संबंध में यह बात स्मरण रखने योग्य है कि भाषा को नियमबद्ध रखने के लिए व्याकरण नहीं बनाया जाता वरन भाषा पहले बोली जाती है । यह सच है कि शब्दों की बनावट और उनकी खोज में भाषा के प्रयोग में शुद्धता आ जाती है । पर यह बात गौण है । व्याकरण पढ़कर लोग न केवल शुद्ध बोलना और लिखना सीख सकते हैं । लेकिन यह भी सच है कि कई अच्छे लेखक व्याकरण नहीं जानते अथवा व्याकरण जानकर भी लेख लिखने में उसका विशेष उपयोग नहीं करते ।

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