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Hindi Cinema Ke Sadabahar Sangeetkar
जब भी किसी फिल्म के निर्माण की घोषणा की जाती है तो सबसे पहले उसके गीत रिकार्ड किये जाते हैं । यदि किसी कारणवश फिल्म अधूरी रह जाये तो उसके गीत चाहे जितने सुरीले या लोकप्रिय हों अनाथ हो जाते हैं । इस प्रकार अनगिनत अच्छे गीत गुमनामी में के अंधेरों में खो गए । फिल्म संगीत के वरिष्ठ इतिहासकार श्री नलिन शाह ने मुंबई के संगीतकारों से मिलकर बहुत से गीतों के बारे में दर्लभ और अमूल्य जानकारियां पाठकों को उपलब्ध कराईं हैं । लोगों का विचार है कि मुंबई में शुरू होने वाली 75 प्रतिशत फिल्में ही पूर्ण हो पाती हैं, बाकी 25 प्रतिशत विभिन्न कारणों जैसे बनने के दौरान बजट का अनुमान से बाहर निकल जाना, पूंजी निवेशकरता का असहयोग, बनाने वालों का आपसी मन मुटाव, वितरक की आशा में अपनी जेब से दो तीन रीलें बनाने के बावजूद फिल्म को कोई डिस्ट्रीब्यूटर न मिलना, हीरो को किसी बड़ी फिल्म में अवसर मिल जाने के बाद वर्तमान फिल्म को अधूरी छोड़कर चले जाना इत्यादि कारणों से अधूरी रह जाती हैं और साधारणतया इन अभागी फिल्मों के साथ उनके रिकार्डशुदा और गैर–रिकार्डशुदा गीत भी कचरे में फेंक दिये जाते हैं । इस तरह कहा जा सकता है कि आज जितने गीत हमें सुनने के लिए उपलब्ध हैं उनकी एक चैथाई संख्या जमाने की बेकद्री के हाथों लुप्त हो चुकी है यानी अधूरी फिल्मों के साथ उनका संगीत भी नष्ट हो चुका है । इस अनुमान के अनुसार लगभग 5 हजार गीत बनाये जाने के बावजूद श्रोताओं के कानों तक पहुंचे से पहले ही दुनिया से रुखसत हो गए । अब हमें कोशिश करनी चाहिए कि जो कुछ हमारे पास बचा है उसे सहेज कर रखें ।
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