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Hindi Cinema Mein Badalte Yatharth Ki Abhivyakti

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2021
978-81-953969-3-1

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प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न तरह की सामाजिक संस्थाओं के बीच रहता है । परिवार, समाज और राष्ट्र इसी तरह की संस्थाएं हैं । कोई भी फ़िल्म इन सामाजिक संस्थाओं और उन संस्थाओं में जीते हुए लोगों के पारस्परिक संबंधों और संघर्षों की उपेक्षा करके नहीं बन सकती, चाहे फ़िल्म बनाने का उद्देश्य कुछ भी क्यों न रहा हो । इस पुस्तक में जिन फ़िल्मों पर विचार किया गया है, उनके माध्यम से यही जांचने–समझने की कोशिश की गयी है कि फ़िल्मकार हमारे समाज को, उनकी विभिन्न संस्थाओं को, संस्थाओं के पारस्परिक संबंधों और संघर्षों को और इन सबके बीच मनुष्य के संबंधों और संघर्षों को किस परिप्रेक्ष्य से देख्र रहा है । क्या समय के साथ–साथ इनमें बदलाव आ रहा है और यदि हां तो इन बदलावों की प्रकृति क्या है । क्या ये बदलाव समाज के हित में है या ये किसी बड़े संकट की ओर संकेत कर रहे हैं ।

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