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Hindi Cineyatra : Cinema Aur Rashtravaad
भारत अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना चुका है। 2047 में विकसित भारत की संकल्पना तैयार हो चुकी है। सिनेमा, समाज और संस्कृति की गतिविधियों को अपने में संजो कर रखता है। अब तक देशभक्ति फिल्मों का निर्माण समय-समय पर होता रहा है। फिल्मकार अलग-अलग विषयों पर राष्ट्रवादी फिल्मों का निर्माण करते रहे हैं। देश पर मर मिटने का जो जज्बा भारतीय आज़ादी के दीवानों में देखने को मिलता है वह सिनेमा में और अधिक यथार्थ रूप में चित्रित हुआ है। हिंदी फिल्मों में स्वाधीनता आन्दोलन की कहानियाँ आज़ादी से पहले भी प्रस्तुत होती रही हैं। भारत में हिंदी फिल्में इस मायने में अग्रणी रही हैं। हिंदी सिनेमा में राष्ट्रवाद की भावना का उभार गीतों से हुआ जिसके लिए कई गीतकारों और गायकों को जेल भी जाना पड़ा।
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