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Hindi Cineyatra : Cinema Aur Sahitya
साहित्य, सिनेमा की बुनियाद है। अभिव्यक्ति का शाब्दिक साहित्य है तो सिनेमा उस शब्द को चित्र में बदल देता है। कलाओं की दुनिया में सिनेमा सबसे अनोखी कला है। साहित्य प्राचीन विधा है और सिनेमा में ढलकर आधुनिक हो जाता है। साहित्य में शब्दों का ताना-बाना होता है तो वहीं सिनेमा दृश्य-श्रव्य माध्यम है। नए प्रौद्योगिकी संसाधनों ने सिनेमा को जन्म दिया। साहित्य और सिनेमा के संबंध मधुर नहीं थे। उसे मधुर बनाने की कोशिश की गई। सिनेमा समाज से जल्दी संबंध स्थापित कर लेता है तो उसका कारण केवल इतना है कि उसे समझने के लिए शिक्षित होना आवश्यक नहीं है। साहित्य, साहित्यकार और पाठक के बीच की धुरी है जबकि सिनेमा कलाओं का समुचित प्रयास है।
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