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Manmnath Nath Gupta : Patra Aur Pratibadhtayen
मन्मथ दा के संग-साथ के कुछ और भी प्रसंग हैं। 1983 की बात है जब नौसैनिक क्रांति की स्मृति में काला पानी गए ठाकुर रामसिंह ने आगरा में एक बड़ा आयोजन हुआ जिसमें मन्मथ दा उपस्थित थे। तारीख थी 8 और 9 अप्रैल । वहां 1946 के नाविक विद्रोही भी बड़ी संख्या में हिस्सेदारी करने आए थे जिसमें विश्वनाथ बोस, हरिश्चन्द्र विहारी जैसे लोग थे। प्रसिद्ध नौसैनिक विद्रोही बी.सी.दत्त नहीं आ सके लेकिन अपना सन्देश उन्होंने हमें भेजा था। काला पानी गए ठाकुर रामसिंह इसके आयोजक थे। उनकी ओर से एक पुस्तकनुमा स्मारिका भी प्रकाशित की गई। क्रांतिकारी भगवानदास माहौर जी की पत्नी यमुना ताई, शहीद विजय सिंह पथिक की पत्नी, शिव वर्मा, 'आज़ाद हिन्द फौज' के कैप्टन जी.एस.ढिल्लन के अलावा उज्जैन के कवि श्रीकृष्ण सरल का आयोजन में आना खास था। कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक सत्यभक्त जी को तो मैं ही मथुरा से लेकर आगरा पहुंचा था। इस सम्मेलन की खास बात यह थी कि 9 को प्रातः ही समाचार पत्रों से हमें यह जानकारी मिली कि एक दिन पहले शहीद भगतसिंह की वहन बीवी अमर कौर ने संसद में घुसकर सरकार विरोधी पर्चे फेंके जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार करके बाद को छोड़ दिया गया। मन्मथ दा ने मंच से 'बीवी अमर कौर जिंदाबाद' का नारा दिया और मुझे उस नारे को आगे बढ़ाने को कहा। मुझे याद है कि आगरा सम्मेलन के वाद मन्मथ दा ऐसे आयोजनों से बहुत निराश हो गए थे जहां सिर्फ मिलना-जुलना तो हो जाता था, लेकिन क्रांतिकारी लक्ष्य के लिए किसी योजना के क्रियान्वयन की दिशा में कुछ काम नहीं हो रहा था। उन्हें लगता कि पूर्व क्रांतिकारी अपने समय के समस्याओं का सामना करने के लिए अपने चिन्तन और कर्म में कोई पैनापन नहीं ला पा रहे हैं। केवल इस कारण नहीं कि वे समय के साथ कदम मिलाकर नहीं चल सके, बल्कि इस कारण भी कि हमारे युग की समस्याएं अत्यंत जटिल हो चुकी हैं।
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