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Pratinidhi Nibandh : Madhav Prasad Mishra

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2025
978-93-92998-66-9

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माधव प्रसाद मिश्र का जन्म हरियाणा प्रांत के भिवानी जिले के कुंगड़ नाम गाँव में 27 सितंबर, 1871 को हुआ था। घर पर ही आरंभिक शिक्षा हुई। तदुपरांत, अध्यावसायी मिश्रजी ने डासना (बुलंदशहर) के ख्यात विद्वान पंडित श्रीधर और वाराणसी के विद्वान पंडित उमापति और राम मिश्र के सान्निध्य में ज्ञानार्जन किया। संस्कृत साहित्य, भारतीय धर्म और दर्शन का गहन अध्ययन किया। इनका निधन 16 अप्रैल, 1907 को प्लेग महामारी के कारण हुआ। अल्पायु के बावजूद इन्होंने अपनी प्रतिभा से हिंदी साहित्य और समाज को बहुत प्रभावित किया। उन्होंने बनारस प्रवास के दौरान देवकीनन्दन खत्री के साथ मिलकर सन 1900 में 'सुदर्शन' नामक पत्र का संपादन किया। कलकत्ता प्रवास के दौरान मिश्रजी ने 'वैश्योपकार' नामक मासिक पत्र का संपादन किया। वे कुशल संपादक के साथ-साथ श्रेष्ठ निबंधकार, एकांकीकार, कहानीकार, समर्थ समीक्षक और कवि थे। दर्शन और साहित्यालोचना संबंधी निबंधों में इनकी विद्वत्ता का सर्वोत्तम रूप दिखायी पड़ता है। भारतीय संस्कृति और धर्म में इनकी गहरी आस्था थी। माधव प्रसाद मिश्र लेखक होने के साथ सक्रिय समाज सुधारक भी थे। कलकत्ता में 'विशुद्धानन्द विद्यालय' और भिवानी में 'संस्कृत महाविद्यालय' की स्थापना जैसा महनीय कार्य भी इनके द्वारा किया गया।

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