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Pustakein Aur Mein

(4.00) 2 Review(s) 
2024
978-93-92998-62-1

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Reviews
पुस्तकें और मैं' भारत भारद्वाज द्वारा संपादित किताब बहुत ही बदल देने वाली है। यह किताब पुस्तकों और हमारे पहचान के बीच के संबंध पर गहराई से जा रही है। हर कहानी एक पहेली के टुकड़े की तरह है जो साहित्य की ताकत को और भी महसूस कराती है।
Gulista Khan, Lucknow
ये किताब 'पुस्तकें और मैं' जो भारत भारद्वाज ने संपादित की है, बहुत बढ़िया है! ये सच में दिखा रही है कि कैसे पुस्तकें हमारे व्यक्तित्व को बदलती हैं। हर कहानी और निबंध अपने असलीपन में छू जाते हैं। अगर तुम्हें पुस्तकों से प्यार है तो इसे ज़रूर पढ़ो!
Kavita Durangal, Araria , Bihar