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Safar (Kavita Sangrah)

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2024
978-93-48409-90-4

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आराधना पी. मौर्य जन्म: 16 जून 1978 उत्तरप्रदेश के मऊ जिले में और ससुराल, जौनपुर जिले में। मेरी कविताओं में पूर्वाचल की सोंधी मिट्टी की खुश्बू-खुद-ब-खुद आ जाती है। शिक्षा: एम.एस.सी., डी. फार्मा कार्य: प्रबंधक, भूषण न्यूरोसर्जिकल सेंटर, 1/491, वरदान खंड, गोमती नगर एक्सटेंशन, लखनऊ, उत्तर प्रदेश प्रकाशित कृतियां 'उड़ान' काव्य-संग्रह, विभिन्न पत्रिकाओं और अखबार में प्रकाशित कविताएं, संस्मरण इत्यादि । सम्मान : काव्य संग्रह 'उड़ान' गोल्डन बुक अवार्ड 2023 से सम्मानित लेखन का शौक बचपन से है। मेरी कविताएं निराशा से आशा की ओर ले जाती है। मेरी नई कविता संग्रह 'सफर' में विविधता है, जीवन का हर पड़ाव है, नटखट बचपन है, अल्हड़ यौवन है, अनुराग के सागर में गोते लगाते प्रेमी युगल हैं, चंचल लज्जाशील वधू है, प्रखर, तेजस्वी वर है, वात्सल्य से ओत प्रोत जननी है, मेरे आंचल में समाए मुझे संपूर्णता देने वाले मेरे प्रतिबिंब है। गांभीर्यता का आवरण ओढ़े स्नेह से भरे जनक हैं। प्रकृति से प्रेम स्वाभाविक है, वसुधा की हरीतिमा, कल, कल करती निर्झरिणी, चंचल झरने, विशालकाय विटप, रंग-बिरंगे पुष्प, तितलियां, चिड़ियों की चहचहाहट सभी मुझे बहुत खुशी देते हैं। मेरी कविताओं में ये सभी हैं। वॉल्यपन की स्मृतियां आज भी गुदगुदाती हैं यादों के झरोखों में झांकते हुए गांव, खेत, खलिहान, बागीचे, असंख्य स्मृतियों से लिपटी मायके की गलियां आज भी मुझे बरबस अपनी तरफ खींचती हैं। इस सफर में प्रकृति का हर रूप है, मौसम का हर रंग है, जो मुझे बहुत पसंद है। कुछ चींजे जो मुझे व्यथित कर देती है, जैसे अशिक्षा, बेरोजगारी, कूड़े के ढेर में कुम्हलाया बचपन पढ़ने लिखने की उम्र में रोजी, रोटी तलाशता बचपन, गरीबी, लाचारी, भूखमरी से जूझता आत्महत्या की कोशिश करता हमारा अन्न दाता... और बहुत कुछ। आशा है कि मेरे इस सफर का हर पड़ाव पाठकगण को अपने जिंदगी के सफर की याद दिलाएगा। मेरे इस अंतहीन सफर के सहयात्री बन इस सफर को स्मरणीय बनाइए।

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