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Samkaleen Aadiwasi Kahaniya
आदिवासी लोक का मानचित्र प्रस्तुत करती कहानियाँ यह किताब आदिवासी कहानियों का एक छोटा सा गुलदस्ता है। छोटा गुलदस्ता इसलिए, क्योंकि इस किताब के बाहर आदिवासी कहानियों का वन प्रांत लहलहा रहा है। भारत के सभी कोनों से अलग-अलग भाषाओं में आदिवासी कहानियाँ लिखी जा रही हैं, जिससे भारतीय साहित्य के आकार प्रकार में इजाफा हो रहा है। आदिवासी कहानियों का अनुभव क्षेत्र व्यापक और वैविध्यपूर्ण है, इनमें आम जीवन के जो दृश्य आते हैं, वह महत्वपूर्ण हैं। उन्हें संवेदनात्मक दस्तावेज़ के रूप में ग्रहण किया जाना चाहिए। उन दृश्यों के माध्यम से आदिवासी जीवन की त्रासदी और जिजीविषा उजागर होती है। अभी भी आदिवासी इलाके सघन शिक्षा व्यवस्था से नहीं जुड़े हैं। इतिहास का महत्वपूर्ण साझेदार और प्राचीन ज्ञान परंपरा के अगुआ होने के बावजूद शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामलों में आदिवासी समाज देश का सबसे पिछड़ा समाज है। इन तबकों से पढ़ लिखकर जो लोग आगे आ रहे हैं, उन्हीं की वजह से लिखित साहित्य सामने आ रहा है। इस संकलन की कहानियाँ इन्हीं लोगों के लेखन का परिणाम हैं। इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि आदिवासी लेखकों द्वारा कहानियाँ अब लिखी जा रही हैं, पहले लिखी ही नहीं गई
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