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Shodh : Kya, Kyun Aur Kaise?
निबंध लेखन या अनुसंधान कार्य में कोई रहस्य नहीं छिपा हुआ है । हाई स्कूल कक्षाओं से लेकर अब तक अपने पाठ्यक्रम के दौरान आपको हिंदी एवं अंग्रेजी विषयों में अक्सर कम्पोजीशन या निबंध लिखना पड़े होंगे । अत: आपको यह तो अच्छी तरह पता होगा कि ऐसा करने में किन–किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है तथा किस प्रकार सिलसिलेबार निबंध लेखन का कार्य आगे बढ़ता है, यानि पहले भूमिका के तौर पर आप एक या दो पैराग्राफ लिखते हैं, फिर निबंध के मुख्य बिन्दु बनाते हैं, इन बिन्दुओं का क्रमश: विस्तार करते हैं और अंत में उपसंहार करते हैं । इस प्रकार की संरचना या कम्पोजीशन में आपने अक्सर अपनी कल्पना का सहारा भी लिया होगा तथा कई बार आपने स्वयं भी घटनाएं गढ़ी होंगी । बी.ए. या एम.ए. के पेपरों के लिए निबंध लिखना और थीसिस के लिए अनुसंधान करना भी बहुत कुछ ऐसा ही है । अंतर केवल इतना ही है कि इसमें आपको अधिक समय देना पड़ता है क्योंकि अधिक पृष्ठ लिखना पड़ते हैं , अपने विषय के अधिक से अधिक अंगों के विस्तार पर ध्यान देना पड़ता है और इसमें आपको पूर्ण सत्य से नहीं हटना पड़ता है । इसमें आप जो कुछ भी लिखते हैं वह उन तथ्यों पर निर्भर रहना चाहिए जो आपको अपने अनुसंधान, अपनी खोजों के दौरान पता चले हैं । इतना ही नहीं, जो कुछ आप लिख रहे हैं उसके विषय में आपको यह भी बतलाना पड़ता है कि आप किस आधार पर यह लिख रहे हैं यानि आपको यह सूचना कहाँ से मिली । विश्वविद्यालयों में थीसिस या शोध प्रबंध लिखने का एक मुख्य भाग है आपने जो पढ़ा है उसे आलोचनात्मक एवं मौलिक ढंग से अपने स्वयं के शब्दों में लिखना । आपसे यह भी आशा की जाती है कि आप दूसरों के लिखे हुए की नकल नहीं करेंगे यानि किसी अन्य का लिखा हुआ अपने स्वयं के द्वारा लिखा हुआ नहीं बतलाएंगे ।
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