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Stri Atmakatha Ke Bahane

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2025
978-93-95226-87-5

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औरतों को चिड़ियों की तरह किसी भी डाल पर, किसी पेड़ पर, किसी बाग़ में मनमानी जगह नहीं मिला करती। उनका जीवन चिड़ियों जैसा सरल नहीं होता। मनुष्य के रूप में अगर सबसे कठिन, चुनौती भरी जिंदगी को पाया है तो स्त्री ने या कुदरत को ही उससे बैर था? या कि सृष्टि के कर्ता-धर्ता की ही कोई साजिश... मादा बनाने के बाद मादा होने की सजा का नाम औरत कर दिया क्योंकि साथ में दिमाग -दिल और विवेक भी दे दिया । -‘कस्तूरी कुंडल बसै' हिंदी आत्मकथा मेरी जिंदगी एक टूटी मेड़ की तरह रही, जिसे कोई भी पैर से तोड़कर लाँघ सकता है। वही मेड़ अगर खड़ी हो तो किसकी मजाल है, जो उस पर पैर रखे? काँटे चुभेंगे, कपड़े फटेंगे, इस डर से दूर ही रहते हैं. मैं अपनी जिंदगी का काँटों में अटका आँचल धीरे-धीरे छुड़ा रही थी. साथ ही जिसका आँचल समस्या रूपी काँटों में फँसा है उसे भी छुड़ाने में मदद कर रही थी... राहों में काँटे भी होंगे, पर फूल भी होंगे सखी, हमें चलना है इसी राह पर ! बहुत आगे, बहुत दूर... बहुत दूर.... – 'दर्द जो सहा मैंने' मराठी आत्मकथा

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